वन भूमि में रह रहे लोगों को दिए नोटिस के मामले को स्थानीय विधायक द्वारा विधानसभा सत्र में नहीं उठाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण-डा. जीतराम ।

नवीन चन्दोला- थराली/ चमोली।

थराली व देवाल विकासखंड में वन भूमि में कब्जे हटाने को लेकर ग्रामीणों को नोटिस दिए जाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है, जिसे लेकर विभिन्न सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल सामने आए हैं।
सभी ने वन विभाग के इस प्रकार के कदम का विरोध किया है, इस मामले को लेकर थराली के पूर्व विधायक प्रोफेसर जीतराम का एक बड़ा बयान सामने आया है,उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्तमान में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है, सत्र में स्थानीय विधायक को यह मामला उठाना चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों की समस्याओं की अच्छी पैरवी हो सके।

दूरभाष पर हुई वार्ता में प्रोफेसर जीतराम ने कहा कि वर्ष 2011 में सरकार द्वारा जारी जिओ के अनुसार वन भूमि की परिभाषा को लेकर भी एडवोकेसी की जानी चाहिए, ताकि थराली व देवाल क्षेत्र के उन लोगों की समस्या का समाधान किया जा सके जो लंबे समय से इस क्षेत्र में रह रहे हैं, और अब वन विभाग ने उन्हें वह स्थान खाली करने का नोटिस दिया है।

प्रोफेसर जीतराम ने कहा कि सरकार को जल्द इस समस्या का समाधान करना होगा, लेकिन स्थानीय विधायक को सरकार के संज्ञान में यह बात लानी होगी,इसके लिए जारी विधानसभा सत्र में मामले को उठाया जाना चाहिए, उन्होंने स्थानीय विधायक पर आरोप लगाया कि वह देहरादून में रहते हुए भी मुख्यमंत्री को सिर्फ पत्र लिख पा रहे हैं, जबकि समस्या का त्वरित समाधान करने के लिए जारी विधानसभा सत्र में उन्हें मामले को उठाना चाहिए था लेकिन थराली के विधायक चुपचाप सदन में बैठे रहे ।

थराली व देवाल क्षेत्र के 500 से अधिक परिवारों का मामला होने के बावजूद इसे विधानसभा सत्र में नहीं उठाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं।